इतना सा सपना है
इतना सा सपना है,
बचपन का जमाना है.
खुशियों का खजाना है,
चाहद चांद को पाने की है.
पर दिल तितली का दिवाना है,
खबर ना है कुछ सुबह की.
ना शाम का ठिकाना है,
थक कर आए हैं स्कूल से.
पर खेलने भी जाना है,
मां की कहानी है.
परियों का फसाना है,
बारिश में कागज की नाव है.
गर्मियों का मौसम भी सुहाना है,
रोने की कोई वजह नहीं है.
हंसने के लिए हर बहाना है,
सपनों की दुनिया है.
सतरंगी खुशियां हैं,
दोस्तों किताबों और खेल में जीना है.
ना दिन ढले ना रात आए,
इतना सा सपना है.
पूनम पंड्या